फ़िर से…
यूँ बीच सफ़र रोको ना मुझे,
बस लड़ने का सुरूर दो…
फिर ख़ुद ही लौट आऊँगा,
इक हार तो मिलने दो…
ख़ुद से ना वाकिफ़ करो मुझे,
इसी हाल में रहने दो…
Poems
यूँ बीच सफ़र रोको ना मुझे,
बस लड़ने का सुरूर दो…
फिर ख़ुद ही लौट आऊँगा,
इक हार तो मिलने दो…
ख़ुद से ना वाकिफ़ करो मुझे,
इसी हाल में रहने दो…